
हर गम मेरा उसे याद करता रहा,
और वो मुझे बरबाद करता रहा!
जब हुआ दीदारे जुनू का,
तो बस एक ही सवाल करता रहा!
क्यो किया मेरा खून अहले जुनू में,
मै तो तेरे विचारों को आवाद करता रहा!
कभी मन के अंदर से,
कभी मन के बहार से!
शायद तुम्हे मै नजर ही नही आया,
मै तेरा ही जुनू तुजे आवाज देता रहा!!
हर गम मेरा उसे याद करता रहा,
ReplyDeleteऔर वो मुझे बरबाद करता रहा!
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शायद तुम्हे मै नजर ही नही आया,
मै तेरा ही जुनू तुजे आवाज देता रहा!!
बहुत सुंदर...गहरे भाव समाहित किए हुए.