Saturday, May 8, 2010

माँ



भगवान का दूसरा रूप है ये ,हर मानस की जननी है!!
ये नारी कल्याणी है, तू मात्रु हमारी है !
इसके कदमो में स्वर्ग बसा है,फिर क्यों आज बेचारी है!
अपने बच्चो के खातिर इनसे खुली आखों रात गुजारी है!!
बच्चे चाहे भूले इसको ये कभी न भूली है!
हमको दुग्ध पान कराकर खुद भूखे ही सोयी है!!
माँ बिन जीवन अधुरा खाली- खाली सूना-सूना है!
उस माँ का कर्ज उतारू कैसे जो पल- पल धरती पर रोई है!!
हमारी खुशी में खुश हो जाती, मेरे गम में अश्क बहाती है!
सर्वश्व बार हम पर आज वो किस चादर में खोयी है!
कोई बता दे आज मुझे कहा उस जननी की आभा खोयी है!!
कितने बदनसीब है हम जिसने माँ की ममता खोयी है!
ओ माँ सुन आज कहा तू सोयी देख ले जरा तेरी ( अर्चना )बेटी तेरी याद में कितनी रोई है!!

Saturday, March 21, 2009

"ये हम नही"

किसी के इतने पास न जा
के दूर जाना खौफ़ बन जाये
एक कदम पीछे देखने पर
सीधा रास्ता भी खाई नज़र आये!!

किसी को इतना अपना न बना
कि उसे खोने का डर लगा रहे
इसी डर के बीच एक दिन ऐसा न
आये
तु पल पल खुद को ही खोने लगे!!

किसी के इतने सपने न देख
के काली रात भी रन्गीली लगे
आंख खुले तो बर्दाश्त न हो
जब सपना टूट टूट कर बिखरने
लगे!!

किसी को इतना प्यार न कर
के बैठे बैठे आंख नम हो
जाये
उसे गर मिले एक दर्द
इधर जिन्दगी के दो पल कम हो
जाये!!

किसी के बारे मे इतना न सोच
कि सोच का मतलब ही वो बन जाये
भीड के बीच भी
लगे तन्हाई से जकडे गये!!

किसी को इतना याद न कर
कि जहा देखो वो ही नज़र आये
राह देख देख कर कही ऐसा न हो
जिन्दगी पीछे छूट जाये!!

ऐसा सोच कर अकेले न रहना,
किसी के पास जाने से न डरना
न सोच अकेलेपन मे कोई गम नही,
खुद की परछाई देख बोलोगे "ये
हम नही"

Monday, February 16, 2009

''जिन्दगी''


क्या-क्या रंग दिखाती है जिन्दगी,
अपने बिछ्डो की याद दिलाती है जिन्दगी!

रो- रो कर भी हँसना सिखाती हैं जिन्दगी,
फूलो में रहकर कांटो पर चलना सिखाती है जिन्दगी!

बेगानों को भी अपना बनाती है जिन्दगी,
दूर रहकर भी पास होने का एहसास कराती है जिन्दगी!

एक पल में हजार रंग दिखाती है जिन्दगी,
कभी पतझड़ कभी गुलशन बन जाती है जिन्दगी!

फूलो की तरह मुरझाती है जिन्दगी,
तितली की तरह उड़ जाती है जिन्दगी!

गिरगिट की तरह रंग बदल जाती है जिन्दगी,
क्यो न इसे जिया जाय,
क्योकि सब कुछ खोकर भी जीना सिखाती है जिन्दगी.....

Monday, February 9, 2009

''एहसास''


दूर होकर पास हो तुम,
रेशमी एहसास हो तुम!

प्यासी रे गिरताप की मैं,
तृप्ति का आभास हो तुम!

शब्द लगते छंद जैसे,
गति का विन्यास हो तुम!

कुछ तो,कुछ तो बात है जो,
ख़ास में भी ख़ास हो तुम!

जेष्ठ की हूँ दोपहर मैं,
और श्रावन मास हो तुम!

साधना होगी सफल मेरी,
एक ऐसी आस हो तुम !

फूल घाटी मधुबन की,
वास का आभास हो तुम!

मौन प्रतिमा सी हूँ मैं,
यूँ मुखर बिंदास हो तुम!

क्या भला अस्तित्व तुम बिन,
क्योकि मेरी साँस हो तुम!!

Saturday, February 7, 2009

''फरेब ऐ नज़र''


तू चाहे मुझे ऐसी किस्मत कहाँ थी,
कहाँ मैं कहाँ तू ये निस्बत कहाँ थी !

तेरी बेरुखी सहे ये दिल मजबूर था,
मेरा हाल जाने तू तुझे फुर्सत कहाँ थी!

मेरी चाहतो की तुझे क्या ख़बर थी,
तू सोचे मुझे ये तेरी फितरत कहाँ थी!

तुझे अपने मन से निकालू तो कैसे,
मैं पा लू तुझे ये मेरी किस्मत कहाँ थी!

जो बन जाता मेरा कहीं हमसफ़र तू,
भला ऐसी अपनी किस्मत कहाँ थी!

जिसे सुनकर तुने मुंह फेर लिया,
ये तो अर्जी थी मेरी शिकायत कहाँ थी!

तू जो कुछ भी था एक बहम था,
फरेब ऐ नज़र था हकीक़त कहाँ थी........

Thursday, February 5, 2009

''यादे''


आज बहुत दिनों बाद मन में ये ख़याल आया !

क्या कोई इतना भी अपना हो सकता है,
कि ये दिल उसकी यादो को ही चुरा लाया!

कभी गमो में डुबोकर रुलाया,
कभी मीठी यादो ने आकर हँसाया!

इन यादो ने सबको पागल बनाया,
इसने हर इंसान के दिल को रुलाया!

आंसुओ कि ताबीर पर भी इसने शमा को जलाया,
ये यादो के परवाने तुने किस किस को न अपना बनाया!

Friday, January 30, 2009

''हसरत''


हमने मांगी थी अक्सर दुआए बहुत,
हसरतो को मगर,उम्र दे न सके !

तेरे दामन को भर देते फूलों से हम,
कांटो को पर अलग उनसे कर न सके!

बेखुदी में जिए तो क्या गम है,
कभी ख़ुद को जुदा तुमसे कर न सके!

दर्द की सीप में बंद मोटी मिले,
कतरे उन अश्को के जो गिर न सके!!