Saturday, May 8, 2010
माँ
भगवान का दूसरा रूप है ये ,हर मानस की जननी है!!
ये नारी कल्याणी है, तू मात्रु हमारी है !
इसके कदमो में स्वर्ग बसा है,फिर क्यों आज बेचारी है!
अपने बच्चो के खातिर इनसे खुली आखों रात गुजारी है!!
बच्चे चाहे भूले इसको ये कभी न भूली है!
हमको दुग्ध पान कराकर खुद भूखे ही सोयी है!!
माँ बिन जीवन अधुरा खाली- खाली सूना-सूना है!
उस माँ का कर्ज उतारू कैसे जो पल- पल धरती पर रोई है!!
हमारी खुशी में खुश हो जाती, मेरे गम में अश्क बहाती है!
सर्वश्व बार हम पर आज वो किस चादर में खोयी है!
कोई बता दे आज मुझे कहा उस जननी की आभा खोयी है!!
कितने बदनसीब है हम जिसने माँ की ममता खोयी है!
ओ माँ सुन आज कहा तू सोयी देख ले जरा तेरी ( अर्चना )बेटी तेरी याद में कितनी रोई है!!
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